Thursday, May 8, 2014

नई कलम का आगाज़

ये बड़े हर्ष का विषय है की आज नई कलम अपना आगाज़ कर रही है। यहाँ हमारी नई कलम की टीम कवितायें , ग़ज़लें , बहस जरी है
इस्थायी स्तम्भ प्रारम्भ कर रही है ।
हमेशा से जब भी कुछ लिखा गया उसको लोगों ने एक बन्धन मैं बांधे रखा । यहाँ हम आजादी से लिखने को स्वतंत्र हैं । साहित्य समाज का एक आइना है लेकिन दुनिया उस आइने को देखना नहीं चाहती । यहाँ हम नई कलम यानि कवियों , शायरों और लेखकों से उनके द्वारा रचित सामग्री आमंत्रित करते हैं और उम्मीद करते हैं ये सफर जीना व जीना आगे बढे । हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा । अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत कराकर इस अभियान को सफल बनायें ।
कवितायें , ग़ज़लें और बहस जरी है के अंतर्गत अपने पत्र यहाँ भेजें ।
nai.qalam@gmail.com

18.05.2008, '2'

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